क्या आप अपना सामान एक्सपोर्ट कर के विदेशों में बेचना चाहते हैं?
व्यवसाय में एक्सपोर्ट करने के लिए आपको यह सब जानना बहुत आवश्यक है|
किस तरह के सामान को एक्सपोर्ट किया जा सकता है?
- मुफ्त में एक्सपोर्ट करने वाली वस्तुएँ
जिस वस्तु को एक्सपोर्ट करने के लिए किसी भी लाइसेंस कि जरुरत नहीं होती उन्हें फ्रीली एक्सपोर्टेड गुड्स कहते हैं| इन वस्तुओं के लिए केवल IEC (इम्पोर्ट एक्सपोर्ट कोड ) लेने कि जरुरत होती है|
उदाहरण: मीट, ट्रस्टीलेस, आर्गेनिक पदार्थ इत्यादि|
फ्रीली एक्सपोर्टेड गुड्स की पूरी सूची यहाँ देखें|
- रिस्ट्रिक्टेड गुड्स:
कुछ वस्तुएँ मुफ्त में एक्सपोर्ट की जा सकती है पर उनके लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती है|
उदाहरण: आलू, बाजरा, सोयाबीन, मार्बल, रुई, धनिया के बीज, इत्यादि|
रिस्ट्रिक्टेड गुड्स की पूरी सूची यहाँ देखें|
- प्रोहिबिटेड गुड्स:
कुछ वस्तुओं को देश से बहार एक्सपोर्ट करने में सख्त पाबंदी होती है|
उदाहरण: शेर की खाल, जंगली पक्षियों के खाल, शार्क के पर, इत्यादि|
प्रोहिबिटेड गुड्स की पूरी सूची यहाँ देखें|
एक्सपोर्टेड गुड्स पर कोनसे कर/टैक्स लगाए जाते हैं?
एक्सपोर्ट ड्यूटी २ तरीके से लगाए जा सकते हैं:
1 ) वस्तु के वजन के हिसाब से|
2 ) एक्सपोर्ट मूल्य के प्रतिशत के हिसाब से|
एक्सपोर्ट ड्यूटी के अलावा एक्सपोर्ट सेस भी लगे जा सकता है|
2018 – 2019 साल के एक्सपोर्ट ड्यूटी यहाँ देखें
भारत से वस्तु को एक्सपोर्ट करने के क्या क्या स्टेप्स हैं?
स्टेप 1 : एक संगठन बनाएं
वस्तु एक्सपोर्ट करने के लिए एक संगठन का सोल प्रोप्राइटरी/पार्टनरशिप के अंतर्गत पंजीकरण करें|
स्टेप 2 : एक बैंक खाता खोलें
आपको फोरेइ एक्सचेंज संभलने के लिए एक बैंक में करंट अकाउंट खोलना होगा|
स्टेप 3 : परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN) लें
सभी आयात , निर्यात (इम्पोर्ट/एक्सपोर्ट ) करने वालों को इनकम टैक्स (आयकर ) विभाग के लिए पैन (PAN) बनाना पड़ता है| (पैन अप्लाई करने के लिए यहाँ क्लिक करें)
स्टेप 4 : इम्पोर्टर – एक्सपोर्टर कोड ( IEC ) हासिल करें
भारत से इम्पोर्ट/एक्सपोर्ट करने के लिए IEC होना अनिवार्य है|
- IEC के लिए www.dgft.gov.in पर आवेदन फाइल करें
- आवेदन की फ़ीस Rs 500 /- नेट बैंकिंग/ डेबिट कार्ड की मदद से जमा करें|
- सरे ज़रुरी क़ागज़ात जो आवेदन फॉर्म पर दिए गए हैं उन्हें जमा करें| (अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें)
स्टेप 5 : रजिस्ट्रेशन कम मेम्बरशिप सर्टिफिकेट (RCMC )
इसके साथ आप किसी भी प्रकार का कन्सेशन या बेनिफिट क्लेम कर सकते हैं| आप इम्पोर्ट – एक्सपोर्ट की जानकारी के लिए या किसी भी प्रकार की सर्विस या निर्देशन के लिए सही अधिकारी से संपर्क करने के योग्य होंगे|
स्टेप 6 ) एक्सपोर्ट करने वाली वस्तु चुनें
फ्री एक्सपोर्टब्ले आइटम्स या रिस्ट्रिक्टेड आइटम्स की सूची में से एक्सपोर्ट करने वाली वस्तु को चुनें|
स्टेप 7 : एक्सपोर्ट करने वाले स्थान को चुनें
मांग के आधार पर उस देश को चुनें जहाँ आप एक्सपोर्ट कारण चाहते हैं| मार्किट, जरूरतें, पेमेंट इत्यादि को समझें| आप मार्केट का विश्लेषण कुछ देशों में होने वाले एक्सपोर्ट के फायदे के आधार पर कर सकते हैं|
स्टेप 8 : ख़रीदार ढूंढे
इम्पोर्ट – एक्सपोर्ट ट्रेड फेयर, बयार-सेलर की बैठक, एक्सहिबीशन्स इत्यादि| बहुभाषीय वेबसाइट जिसमें आप अपने वस्तुओं के मूल्य, पेमेंट के तरीके और दूसरी ज़रुरी जानकारी इत्यादि लिख सकते हैं| आगे बढ़ने के लिए रास्ते बनाएँ|
स्टेप 9 : वस्तु का नमूना (सैंपल) प्रदान करें
अपने विदेशी खरीददारों के मांगने पर सैंपल प्रदान करें ताकि आपको और अधिक एक्सपोर्ट आर्डर मिले| सैंपल को बिना किसी सिमा के मुफ्त में एक्सपोर्ट किया जा सकता है|
स्टेप 10 : अपने मूल्यनकन तय करें
इससे आप ग्राहकों का ध्यान अपनी ओर खींच पाएंगे और अपनी बिक्री अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा पाएंगे| आपको मूलयांकन करते वक़्त अपने सभी ख़र्चों सैंपल से ले के एक्सपोर्ट तक को ध्यान में रखना होगा जैसे, फ्री ऑन बोर्ड (FOB ), दाम, इन्शुरन्स & फ्राइट ( CIF ), कॉस्ट & फ्राइट (C & F ), इत्यादि|
आपको अधिकतम मात्रा में दाम का ध्यान रखते हुए अधिक मुनाफ़ा कामना होगा| सभी एक्सपोर्ट वस्तु के लिए एक एक्सपोर्ट कॉस्टिंग शीट बनाएँ|
स्टेप 11 : ख़रीददारी से दाम मोल करें
जब आपको कोई आर्डर मिलता है तो सही दाम लगाएँ या कुछ छूट देने का प्रयत्न करें|
स्टेप 12 : अपने होने वाले नुकसान को ECGC की मदद से सुरक्षित करें
अंतर्राष्ट्रीय ट्रेड में हमेशा पेमेंट को लेकर जोखिम बना रहता है| पर आप इसे एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन लिमिटेड (ECGC ) की मदद से सुरक्षित कर सकते हैं| जब कोई विदेशी ख़रीददारी बिना किसी एडवांस पेमेंट के आर्डर देता है तो आप ECGC से उसका क्रेडिट लिमिट लिमिट कारवाँ लें ताकि अगर पेमेंटनहि किया जाये तो आप नुकसान से बच सकें| (ECGC के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें)
एक एक्सपोर्ट आर्डर को भेजने की क्या प्रक्रिया है?
स्टेप 1 : दिए गए आर्डर की पुष्टि करें
जब आपको कोई आर्डर मिले तो उसमे ध्यान दें की आर्डर की क्या मात्रा है, आर्डर कब तक डिलीवर करना है, पेमेंट कैसे किया जाएगा, इत्यादि और उसके बाद आर्डर की पुष्टि करें|
स्टेप 2 : अपनी वस्तुंए हासिल करें
जो भी गुड्स एक्सपोर्ट करने हैं उन्हें बिना देरी किये समय से इकट्ठा करें|
स्टेप 3 : गुणवत्ता (क्वालिटी) चेक करें
आपको एक्सपोर्ट करे जाने वाली वस्तुओं की क्वालिटी का ध्यान रखना होगा| कुछ वस्तुएँ जैसे खाद्य पदार्थ, रासायनिक पदार्थ, इत्यादि की जांच अनिवार्य होती है| अपने व्यवसाय को बनाए रखने के लिए अच्छी क्वालिटी की वस्तुएँ प्रदान करें|
स्टेप 4 : अपने वित्त (फ़ाइनेंस ) का इंतज़ाम करें
आप कमर्सिअल बैंक से एक्सपोर्ट ट्रांज़ैक्शन के लिए काम दर पर प्री-शिपमेंट और पोस्ट-शिपमेंट फाइनेंस के लिए योग्य हैं|
स्टेप 5 : लेबल करना, पैक करना और मार्क करना
अपने सामान को अच्छी अवस्था में लेबल करें, और पैक करें| ख़रीदार के द्वारा दिए गए निर्देशन के अनुसार पैक करें| अच्छे से पैक किये सामान की ओर ग्राहक अधिक आकर्षित होते हैं|
अच्छे से पैक किये जाने की वजह से उसे संभालना आसान हो जाता है, आप अधिक सामान लोड कर पते हैं और आपका सामान भेजने का खर्च भी कम हो जाता है|
सामान में अगर आपने पता, पैकेज संख्या, सामान जहाँ पहुँचने वाला है उसका पता, वजन,इत्यादि लिखा हो तो सामान के बारे में जानकारी और सामान को पहचानना आसान हो जाता है|
स्टेप 6 : इन्शुरन्स करवाएं
इन्शुरन्स की वजह अगर आपके सामान को भेजते वक़्त रस्ते में कुछ नुकसान होता है तो वो आपका इन्शुरन्स उसे आर्थिक रूप से सुरक्षित करता है इसलिए हमेशा अपने सामान का इन्शुरन्स करवाए|
स्टेप 7 : डेलिवरी
कोशिश करें की आपका सामान समय से डिलीवर हो| अच्छी योजना बनाएँ ताकि सही तरीके जल्दी और समय पर डेलिवरी हो|
स्टेप 8 : सभी दस्तावेज़ तैयार रखें
नीचे दिए गए दस्तावेज़ इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट के लिए अनिवार्य हैं|
- लैंडिंग/एयरवे का बिल
- कमर्शियल इनवॉइस और पैकिंग लिस्ट
- शिपिंग बिल/ एक्सपोर्ट का बिल/ एंट्री का बिल(इम्पोर्ट के लिए)
( दूसरे दस्तावेज़ जैसे की ओरिजिन का प्रमाण-पत्र, इंस्पेक्शन का प्रमाण-पत्र इत्यादि की भी जरुरत पड़ सकती है)
स्टेप 9 : बैंक के दस्तावेज़ जमा करें
शिपमेंट के बाद बैंक में 21 दिनों के अंदर दस्तावेज़ जमा करें ताकि विदेशी बैंक की तरफ से पेमेंट की व्यवस्था हो सके| कनेक्शन/ ख़रीद/, L/C के अंतर्गत नेगोशिएशन या जो भी सुनिश्चित हो उसके दस्तावेज़ बनाए| साथ ही नीचे दिए दस्तावेज़ भी बनवा लें
-बिल ऑफ़ एक्सचेंज
-लेटर ऑफ़ क्रेडिट (अगर शिपमेंट L/C के अंतर्गत आता है तो )
-इनवॉइस
-पैकिंग सूची
-एयरवे बिल/लैंडिंग बिल
-फॉरेन एक्सचेंज की घोषणा (डिक्लेरेशन)
-ओरिजिन/GSP का प्रमाणपत्र
-इंस्पेक्शन का प्रमाणपत्र, जहाँ भी आवश्यक हो
-कोई भी और दूसरे दस्तावेज़ जो L/C के लिए जरुरी हो
क्या आपके पास इससे जुड़े कोई सवाल हैं? कृपया नीचे कमेंट करें|
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Happy Vyaparing!!!