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GSTR 1 क्या  है? किसे फाइल  करना चाहिए, कैसे  फाइल करते है, ड्यू डेट  और लेट फाइल करने की फ़ीस 

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क्या  GST आपके  लिए नया है? क्या  आप नहीं जानते की GST कैसे  काम करता है? क्या आपको GSTR1 फाइल  करना है पर कैसे करना है यह आप नहीं  जानते?

परेशान  मत होइए! GSTR-1 के  बारे में आपको जो भी  जानना है वो यहाँ है|

GST के  अंतर्गत सभी  करदाताओं को अपने  व्यवसाय की सभी बिक्री(सेल)  की जानकारी सरकार को GSTR-1 के  माध्यम से जमा करनी होती है और  यह अनिवार्य है|

GSTR-1 क्या  है?

GSTR-1 वह  दस्तावेज़ है  जिसमे विक्रेता  द्वारा ख़रीदार को  की गयी सभी बिक्री की  जानकारी होती है|

GSTR-1 किसे  फाइल करना चाहिए?

GST के  अंतर्गत जिसने  भी रजिस्टर किया  है उसे GSTR-1 फाइल   करना ही होगा फिर चाहे  उन्होंने उस महीने बिक्री  की या नहीं की|

✔अगर  आपके व्यवसाय  का सालाना टर्नओवर  Rs 1.5 करोड़ तक है तो  आपको हर 3 महीने में GSTR-1 फाइल  करनी होगी पर अगर आपका सालाना टर्नओवर  Rs 1.5 करोड़ से अधिक है तो आपको हर महीने  GSTR-1 फाइल करना होगा|

✔अगर  आपने कम्पोजीशन  स्कीम चुना है तो  आपको GSTR-1 फाइल करना  होगा और GSTR-4 हर 3 महीने  पर फाइल करनी होगी|

GSTR कब फाइल करना चाहिए?

GSTR-1 फाइल  करने की अंतिम  तारीख आपके टर्नओवर  पर निर्भर करता है|

अगर  आपका बिज़नेस  टर्नओवर <= Rs. 1.5 करोड़, तो  आप 3 महीने में एक बार फाइल  करने का विकल्प चुन सकते हैं| 

3 माह   ड्यू डेट 
अक्टूबर-दिसंबर 2018 31 जनवरी 2019
जनवरी- मार्च 2019 30 अप्रैल 2019

अगर  आपका बिज़नेस  टर्नओवर > Rs. 1.5 करोड़, तो  आपको हर महीने फाइल करना अनिवार्य  है|

पीरियड डेट 
दिसंबर 2018 11 जनवरी 2019
जनवरी 2019 11 फरवरी 2019
फरवरी 2019 11 मार्च 2019
मार्च 2019 11 अप्रैल 2019

GSTR-1 में  क्या क्या जानकारी  होनी चाहिए?

GSTR-1 में  13 अलग अलग भाग  हैं जिन्हें भरना  होता है| कुछ कुछ अपने  आप हीं भर दिए जाते हैं  और कुछ आपको भरने होते हैं| यहाँ  कुछ मुख्य भाग दिए गए हैं:

✔आपके  व्यवसाय  का GSTIN: यह  अपने आप भर दिया  जाता है|

✔कर-दाता  का नाम: यह  अपने आप भर दिया  जाता है|

✔पिछले  वित्त वर्ष (फ़ाइनेंशियल ईयर) का  टर्नओवर : इसे आपको सिर्फ एक बार  भरना होगा| उसके बाद पिछले साल के  क्लोजिंग बैलेंस के साथ यह अपने आप  भर दिया जायेगा|

अवधि  जिसके लिए  रिटर्न फाइल  किया जा रहा है: आपको  दिए गए विकल्प में से वर्ष  और महीना चुनना होगा 

✔रजिस्टर  किये गए व्यक्ति  द्वारा की गयी बिक्री (सेल) की  जानकारी: 2 राज्यों के अंतर्गत होने  वाली बिक्री के लिए CGST और SGST फाइल  किया जाता है, और जब बिक्री सिर्फ एक हीं  राज्य के अंदर की जाए तब IGST फाइल किया जाता  है| यहाँ उन बिक्री की भी जानकारी देनी होती है  जिसपर टैक्स नहीं लगता|

✔उन  बिक्री  की जानकारी  जो Rs. 2.5 लाख  से अधिक है – दिए  गए को छोड़कर बाकी सभी  सप्लाई वैकल्पिक होते हैं|

✔उन  सभी बिक्री  का जोड़ा हुआ  कुल जो Rs. 2.5 लाख  से कम है|

डेबिट  नोट और  क्रेडिट नोट  की जानकारी|

✔पिछले  साल के  सेल ट्रांज़ैक्शन  के बदलाव|

एक्सेम्पटेड, निल- रेटेड  और नॉन – GST सप्लाई – अगर  केवल उस महीने या उस 3 महीने  के अंतर्गत आपकी कोई सेल नहीं हुई  तो इसे भरे|

एक्स-पोर्ट  सेल की जानकारी, और  उन सभी वस्तुओं का HSN कोड  भी दर्ज करना होगा|

✔एडवांस  पेमेंट के  लिए टैक्स लायबिलिटी  भी भरे|

रिपोर्टिंग  पीरियड (अवधि) के  दौरान दिया गया टैक्स – इसमें  पिछले पीरियड में दिए गए टैक्स  भी आ सकते हैं|  

कंपनी  और LLP के  फॉर्म पर डिजिटल  हस्ताक्षर होने चाहिए  पर प्रोप्रिएटोरशिप में  खुद से भी हस्ताक्षर किया  जा सकता है|

GSTR-1 कैसे  फाइल करें?

अपने  यूज़र ID और  पासवर्ड की मदद  से GSTN पोर्टल पर  लॉगिन करें और नीचे  दिए गए स्टेप के अनुसार  GSTR-1 सफलतापूर्वक फाइल करें|

सर्विस  में पहले  रिटर्न और उसके  बाद रिटर्न डैशबोर्ड  पर क्लिक करें|

✔डैशबोर्ड  में वित्त  वर्ष (फ़ाइनेंशियल  ईयर) और महीना चुने  जिसके लिए GSTR-1 फाइल  करना है| सर्च पर क्लिक  करें|

✔इस  पीरियड (अवधि) से  जुड़ी सभी रिटर्न  आपको स्क्रीन पर दिखेंगी|

✔उसे  चुनें  जिसमे GSTR-1 है|

✔अब  आपको  दो विकल्प  दिए जायेंगे – प्रिपेयर ऑनलाइन (ऑनलाइन  बनायें) या अपलोड द रिटर्न (रिटर्न अपलोड  करे)

Vyapar जैसे  GST बिलिंग एप्लीकेशन  की मदद से आप GSTR-1 रिपोर्ट  जेनेरेट कर सकते हैं और सीधा पोर्टल  पर अपलोड कर सकते हैं|

✔आप  या तो  इनवॉइस जोड़  सकते हैं या  सीधा अपलोड कर  सकते हैं|

✔सब  होने  के बाद  सबमिट (जमा  करें) पर क्लिक  करें और दी गयी  जानकारी (डाटा) की पुष्टि  करें (वैलिडेट)

✔एक  बार जब  सभी जानकारी  की पुष्टि हो  जाए तब फाइल GSTR-1 पर  क्लिक करें और फॉर्म में  डिजिटल साइन/E-Sign की ओर आगे  बढ़े|

✔अब  आपको  एक पॉप-उप  के माध्यम से  रिटर्न को फाइल  करने की पुष्टि मांगी  जाएगी| YES (हाँ) पर क्लिक  करें|

✔अब  एक Acknowledgement Reference Number (ARN) जेनेरेट  होगा|

✔इस  ARN के  इस्तेमाल  से आप अपने  फाइल किये गए  GSTR-1 को ट्रैक  कर पाएंगे|

✔अपने  GSTR-1 का  स्टेटस जानने  के लिए GSTN पोर्टल  पर अपने यूज़र ID और  पासवर्ड की मदद से फिर से  लॉगिन करें| https://www.gst.gov.in/

✔क्लिक  सर्विस > रिटर्न  > ट्रैक रिटर्न स्टेटस  

ARN फील्ड  में ARN लिखें|

✔अपने  GSTR-1 रिपोर्ट  के स्टेटस को जानने  के लिए सर्च बटन पर क्लिक  करें| रिटर्न स्टेटस 4 प्रकार के  होते हैं:

“टू बी फाइल्ड” : इसका  मतलब है की आपका रिटर्न  अभी तक फाइल नहीं किया गया  है|

“सब्मिटेड  बट नॉट फाइल्ड”: इसका  मतलब है की आपका रिटर्न  वैलिडेट (पुष्टि) कर दिया गया  है पर फाइल करना अभी भी बाक़ी  है|

“फाइल्ड-वैलिड”: इसका  मतलब है की रिटर्न सफलतापूर्वक  फाइल किया जा चुका है| 

“फाइल्ड-इनवैलिड”: इसका  मतलब है की रिटर्न फाइल  कर दिया गया है पर टैक्स  नहीं भरा गया है या फिर कम  भरा गया है|

देरी  से फाइल  करने की फ़ीस  या पेनल्टी क्या  है?

GSTR-1 को  देरी से फाइल  करने की फ़ीस Rs. 50 प्रति  दिन या Rs 20 प्रति दिन (निल  रिटर्न के लिए) है| जमा करने की  तारीख के बाद से जमा करने की तारीख  तक लेट फ़ीस जोड़ी जाएगी|

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